Click here to listen to bhajan in the voice of Dr. Uma Shrivastav
यदि नाथ का नाम दयानिधि है, तो दया भी करेंगे कभी न कभी ।
दुखहारी हरी, दुखिया जन के, दुख क्लेश हरेगें कभी न कभी ।
जिस अंग की शोभा सुहावनी है, जिस श्यामल रंग में मोहनी है ।
उस रूप सुधा से स्नेहियों के, दृग प्याले भरेगें कभी न कभी ।
जहां गीध निषाद का आदर है, जहां व्याध अजामिल का घर है ।
वही वेश बनाके उसी घर में, हम जा