ये बिनती रघुबीर गुसांई,और आस बिस्वास भरोसो, हरो जीव जड़ताई,
चहौं न कुमति सुगति संपति कछु, रिधि सिधि बिपुल बड़ाई,हेतू रहित अनुराग राम पद बढै अनुदिन अधिकाई,
कुटील करम लै जाहिं मोहिं जहं जहं अपनी बरिआई,तहं तहं जनि छिन छोह छांडियो कमठ-अंड की नाईं,
या जग में जहं लगि या तनु की प्रीति प्रतीति सगाई,ते सब तुलसी दास प्रभु ही सों होहिं सिमिटि इक ठाईं,
Listen to Bhajan sung by Dr. Uma Shrivastava by clicking here.