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आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : ऋतु कौशिक
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक कार्यक्रम ’एक गीत सौ अफ़साने’ में आप सभी श्रोताओं का फिर एक बार स्वागत है। नमस्कार दोस्तों! यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें हम बातें करते हैं किसी एक गीत की, उससे जुड़े तमाम पहलुओं की, गीतों की रचना प्रक्रिया से सम्बन्धित रोचक जानकारियों की, और ज़िक्र होता है दिलचस्प घटनाओं का। जहाँ आज रेडियो, टेलीविज़न और इन्टरनेट पर इस तरह के कार्यक्रमों की भरमार है, वहाँ इन कार्यक्रमों में दी जा रही जानकारियों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के इस कार्यक्रम की ख़ास बात यह है कि इसमें दी गई जानकारियाँ और तमाम तथ्य ऐसे साक्षात्कारों से लिए गए होते हैं जो कलाकारों या उनके परिवार जनों द्वारा ही कहे गए होते हैं। स्थापित पत्रिकाओं, आकाशवाणी व दूरदर्शन के स्थापित कार्यक्रमों तथा प्रकाशित पुस्तकों से प्राप्त जानकारियों से सजता है ’एक गीत सौ अफ़साने’।
आज की कड़ी में हम लेकर आए हैं जन्माष्टमी के शुभवसर पर एक ठुमरी से जुड़ी बातें। एक ऐसी पारम्परिक ठुमरी जिसका प्रयोग हिन्दी फ़िल्मों में बार-बार हुआ। कौन सी हैं वो फ़िल्में? किन किन संगीतकारों ने इस ठुमरी को फ़िल्मी जामा पहनाया। सबसे पहले किस फ़िल्म में यह ठुमरी सुनाई दी? और साथ ही नौशाद साहब के साथ इस ठुमरी से जुड़ी कौन सी घटना है? ये सब कुछ आज के इस अंक में।
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : ऋतु कौशिक
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक कार्यक्रम ’एक गीत सौ अफ़साने’ में आप सभी श्रोताओं का फिर एक बार स्वागत है। नमस्कार दोस्तों! यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें हम बातें करते हैं किसी एक गीत की, उससे जुड़े तमाम पहलुओं की, गीतों की रचना प्रक्रिया से सम्बन्धित रोचक जानकारियों की, और ज़िक्र होता है दिलचस्प घटनाओं का। जहाँ आज रेडियो, टेलीविज़न और इन्टरनेट पर इस तरह के कार्यक्रमों की भरमार है, वहाँ इन कार्यक्रमों में दी जा रही जानकारियों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के इस कार्यक्रम की ख़ास बात यह है कि इसमें दी गई जानकारियाँ और तमाम तथ्य ऐसे साक्षात्कारों से लिए गए होते हैं जो कलाकारों या उनके परिवार जनों द्वारा ही कहे गए होते हैं। स्थापित पत्रिकाओं, आकाशवाणी व दूरदर्शन के स्थापित कार्यक्रमों तथा प्रकाशित पुस्तकों से प्राप्त जानकारियों से सजता है ’एक गीत सौ अफ़साने’।
आज की कड़ी में हम लेकर आए हैं जन्माष्टमी के शुभवसर पर एक ठुमरी से जुड़ी बातें। एक ऐसी पारम्परिक ठुमरी जिसका प्रयोग हिन्दी फ़िल्मों में बार-बार हुआ। कौन सी हैं वो फ़िल्में? किन किन संगीतकारों ने इस ठुमरी को फ़िल्मी जामा पहनाया। सबसे पहले किस फ़िल्म में यह ठुमरी सुनाई दी? और साथ ही नौशाद साहब के साथ इस ठुमरी से जुड़ी कौन सी घटना है? ये सब कुछ आज के इस अंक में।