DHADKANE MERI SUN

CHALO... EK BAR FIR SE


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यह कोमल और चंचल मन मेरा, उससे दूर नहीं जाना चाहता, नजरों में बसा कर रखना चाहता है... बाहों के दरमियाँ ना सही... वो करीब से गुजर जाये... बस.... ऐसी अजनबी मुलाकातों में ही सही...l ना दर्द हो ...ना ग़म हो  ना बोझ हो इस दिल पर कोई  राहे मोहब्बत में मुश्किलों के चलते... ग़र हो छोड़ना...तो  एक खूबसूरत सा मोड़ हो कोई
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DHADKANE MERI SUNBy Dr. Rajnish Kaushik