Kalam (Hindi Poetry)

चिकित्सक का धर्म


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पेशेवर डॉक्टर सेवक है या व्यापारी? क्या सेवक को व्यापार करने का प्रयास नहीं करना चाहिए या व्यापारी को सेवा नहीं करनी चाहिए? जैसे अच्छे और बुरे विचार शरीर के अभिन्न अंग हैं वैसे ही जगत के बाजार में सेवा, व्यापार का अभिन्न अंग है। सेवा में कितना व्यापार होना चाहिए यह वाद-विवाद का विषय है। इस विवाद में न पड़ते  हुए डाक्टर के कर्म को सुनते हैं हमारी कविता " चिकित्सक का धर्म " से।

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Kalam (Hindi Poetry)By Dr. Sudhanshu Kumar