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"वो बस जिन्दगी जी रहे, पर कहीं न कहीं हमें ये समझने की जरूरत होगी कि हम बस जिंदगी जीने के लिए दुनिया में नहीं है। हमे खुद को भी खुश रखना होगा। अब इसका बड़ा हुआ वर्जन और कुछ नहीं है जहां लोग हताश हो गए, अपनी जान देने की कोशिश करते हैं, या हताश हो के हर तरह का कनेक्शन दौड़ने की कोशिश करते हैं। अकेले रहना चाहते हैं। पर दोस्ती, यह इसका सॉल्यूशन नहीं है। यह तो इस प्रॉब्लम की शुरुआत है तो मेरा यह मानना है कि डिप्रेशन, जैसी, अवसाद जैसी प्रॉब्लम का सामना अकेले नहीं किया जाता।"