अपने जीवन काल में हम न जाने कितने लोगों का उपकार लेते हैं किसी पर उपकार करते हैं कहीं प्रार्थी होते हैं और कहीं किसी को क्षमा देने का वजूद रखते हैं। कहीं प्रशंसनीय होते हैं तो कहीं कोई दूसरा प्रशंसा का हकदार होता है। परंतु जीवन की आपाधापी में बहुत कुछ हम शोक सभा के लिए ही संचित करके रह जाते हैं श्रद्धांजलि के रूप में। इसी का एहसास इस कहानी में जब इंद्रनील को होता है फिर