DHADKANE MERI SUN

EK TARFA MOHABBAT


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मेरी सांसों में रहती है 

मगर आँखों से बहती है  मैं तुझ बिन जी नहीं सकता  धड़कने मेरी कहती हैं  जो मिल जायेंगे मैं और तुम  ज़मी जन्नत बनाऊंगा  अमीरी हो या फकीरी हो  सभी नखरे उठाऊंगा  ज़माने भर की हर रौनक  तेरे कदमो में लगाऊंगा  कहेंगे लोग पागल जो  गुज़र हद से भी जाऊँगा  मरे सीने से लग के बस  इतना सा ही कह दे तू  मैं तेरी हूँ  मै तेरी हूँ  मैं तेरी हूँ..........
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DHADKANE MERI SUNBy Dr. Rajnish Kaushik