बोध का मतलब है कि हम हर बात के, हर घटना के, प्रत्येक पहलू को हर वक्त देख सके। बोध होने से हमारे जीवन में सहजता आती है। जिसके लिए बुद्ध ने भी कहा है कि संसार में दुःख हैं... दुःखों के कारण हैं और ऐसी भी स्थिति है जब दुःख ना हो... यही तो बुद्धत्व है।
इसके लिए हमें कुछ ऐसा करना होगा जिससे दुःख ना हो। हम सुखी होने को दुःखी ना होना समझ लेते हैं। लेकिन दुख को मिटाने के लिए सुख ineffective है। सुख अपने अचेतन में जानता ही है कि दुःख आसपास ही है, उसके पीछे ही खड़ा है। इसीलिए सुख हमेशा डरा हुआ रहता है कि कहीं मेरी खुशियां छिन ना जाएं। इसीलिए दुख को हटाना जरूरी है। दुःख मिटाने के लिए दुःख पर ही काम करना होगा।