इस अध्याय में रोबिन शर्मा जी ने बताया है की सबसे बड़ा दुख या त्रासदी मृत्यु नहीं है अपितु अपनी क्षमता से कम जीना है ईश्वर ने हम सबके ह्रदय में अनुपम प्रतिभा छिपा कर हमें भेजा है लेकिन हम अक्सर खुद की कमजोरियों पर है ध्यान लगाए रहते है ।
हमारा अपनी क्षमताओं से कम जीना हमारे लिए ही नहीं बल्कि इस दुनिया के लिए भी अच्छा नहीं है क्योंकि हम अपनी प्रतिभाओं का विकास करके इस दुनिया के भले के लिए भी अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते है ।अतः हमें स्वयं पर विश्वास रख कर अपनी प्रतिभा का विकास करते रहना चाहिए।