मेरी "घरेलू हिंसा के प्रति जागरूकता फ़ैलाने" की छोटी सी मुहिम में अपना सहयोग बनाये रखने के लिए पुनः हृदयतल से आपका आभार दोस्तों ! क्या आपने कभी महसूस किया है घरेलू हिंसा से सबसे बुरी तरह प्रभावित होनेवाले कोई और नहीं, उस पीड़ित परिवार के मासूम बच्चे होते हैं जो "दुनिया की नज़रों में अदृश्य इस तमाशे" के सबसे क़रीबी तमाशबीन होते हैं, जिनसे असल में छुपा तो कुछ भी नहीं है, पर छुपाना उनको वो सब कुछ है जो होते हुए वो अपनी आँखों से देखते हैं, पर अफ़सोस समझ नहीं पाते हैं ...
परिवार की, पीड़िता की, अत्याचारी की इज़्ज़त बचने के नाम पर ऐसे बच्चे मूकदर्शक बने रहते हैं, अंदर ही अंदर उनके हज़ारों अनुत्तरित सवाल कौंधते रहते हैं, जिनका ज़वाब वो मांगे भी तो आख़िर किससे ????
क्योंकि उनको तो पीड़िता और अत्याचारी ने यही सिखाया है कि : "दुनिया तो बुरी है, कोई भरोसे लायक नहीं है, सब उनके परिवार को नीचा दिखाने की साज़िश कर रहें हैं, लोग उनके हँसते खेलते परिवार को तोड़ना चाहते हैं, लोग उनको ग़लत साबित करना चाहते हैं इत्यादि ... क्या पीड़िता या अत्याचारी को ज़रा सा भी ये अंदाजा है कि वो अपने बच्चों का भविष्य असल में कितना ज़्यादा कठिन बना चुके हैं ???? ... #alwaysvikas