प्रिय दोस्तों, इस गंभीर और Sad/ दुःखद समस्या पर अपना बहुमूल्य वक़्त देने के लिए आपका तहे दिल से आभार। मैं कहना चाहता हूँ की अत्याचारी के द्वारा मारा गया पहला थप्पड़ जिसे आप या आपका रक़्त परिवार (Blood Relations) बिना किसी विरोध के स्वीकार कर लेते हैं, वो दरअसल अत्याचारी को एक खुली छूट दे देता है अपने मन की करने की. वो समझ जाता है कि उसका कोई विरोध नहीं होगा, ऊपर से पीड़ित / पीड़िता का परिवार ये कह कर पल्ला झाड़ लेता है कि ये पति पत्नी का आपसी मामला है, वो बीच में नहीं पड़ेंगे। ऐसा डरपोक व निरपेक्ष नज़रिया, आप स्वयं सोचकर देखिए कि क्या यह अत्याचारी को आज़ादी नहीं दे देता कि
वो ऐसा सोचे कि : "मैं जो मर्ज़ी चाहूँ, जैसे चाहूँ, जब भी चाहूँ, पीड़ित / पीड़िता के साथ कर सकता हूँ। ... मुझे रोकनेवाला या टोकनेवाला है ही कौन ?
और, फ़िर शुरू हो जाती है निर्विरोध, ख़ामोशी से घरेलू हिंसा को आजीवन स्वीकार करने की एक कहानी ... क्या आप मेरी बात से सहमत हैं दोस्तों ? #alwaysvikas