गोनू झा का जन्म १४ वी शताब्दी में दरभंगा बिहार (मिथिलांचल) के भरवारा गाँव में हुआ था । उनके बारे में कई किद्वान्तिया है । वे चुटकियों में समस्याओं को सुलझा देते थे। उनके चुटकुले सुनकर लोग लोटपोट हो जाते थे।उन्हें मिथिला में वही सम्मान प्राप्त था जो दक्षिण में तेनालीराम और उत्तर भारत में बीरबल को प्राप्त था । चतुराई और बुद्विमता के प्रतीक गोनू झा समाज के हर तबके में लोकप्रिय हैं गोनू झा के करिश्माई कारनामों और कहानियों को मिथिला में घर-घर सुनाये जाते है ।