संत कबीर रचित "साखी" का सरल भावानुवाद Presentation By MAYA LOHANI

Hindi Poetry is an ocean .... रत्नों भरे इस खजाने से महान साहित्यकारों के कुछ अमृत कलश रूपी मोती


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साहित्य की आत्मा है कविता और कविता की आत्मा है भाव रस अलंकार ,छंद ,काव्य -शैली....... लेकिन इस सबसे बढ़कर कविता के अंदर बसा हुआ सार । संत कबीर की वाणी धर्म नीति और जीवन को जोड़ने वाली वाणी है संत कबीर कवि और साहित्यकार होने के साथ-साथ एक प्रखर समाज सुधारक भी थे उनका यह समाज सुधारक रूप उनकी कविताओं में उनके पदों में और उनके दोहों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है दसवीं तक के स्तर के छात्र संत कबीर की वाणी उसके मर्म और कविता के पीछे छिपे उस सार तत्व को समझ पाए यही मेरी प्रस्तुति का उद्देश्य है यदि श्रोताओं ने इसे पसंद किया तो यही इस उद्देश्य की सफलता भी होगी।
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संत कबीर रचित "साखी" का सरल भावानुवाद Presentation By MAYA LOHANIBy maya lohani