रोजमर्रा के जीवन में हम सबके सामने उलझनें आती ही हैं। कोई भी ऐसी घटना छोटी नहीं हो सकती, जिससे तुम्हारा मन उदास हो, तुम्हें गुस्सा आए, मन में घृणा के भाव उठें, पछतावा हो या तुम्हारी आंखें नम हो जाएं। इन्हीं सब बातों के बारे में ही तो पूछना तुम्हारी जरूरत है। अगर पूछोगे नहीं तो कब तुम्हारी कौन सी समस्या किसी गंभीर समस्या में बदल जाएगी, तुम्हें पता ही नहीं चलेगा।