ईदगाह के मेले में घूमने गए अनाथ और मासूम हामिद के पास सिर्फ तीन पैसे थे । वह चाहता तो इन पैसों से मिठाईयां खा सकता था खिलौने खरीद सकता था मगर उसने लिया क्या ?अपनी बूढ़ी दादी के लिए चिमटा ! आखिर क्यों ? यह जानने के लिए सुनिए प्रेमचंद की यह खूबसूरत कहानी जिसमें बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्रण है।