कई बार, हम कुछ चीज़ें अपनी मर्ज़ी से नहीं, उनकी, हां, उस एक शख्स की - जिसका चेहरा ये पढ़ते वक्त आपके ज़हन में उभर आया होगा, उन्ही की, ज़िद कि वजह से करते हैं, और कभी कभी जब वो शख्स हम से छूट जाए, तो वो चीज़ें, वो आदतें भी हम से छूट जाया करती हैं जो हम उस एक ज़िद पे हस के कर लिया करते थे। ये नज़्म शायद आपको ऐसी ही कोई ज़िद याद दिला दे...