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आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : ऋतु कौशिक
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक कार्यक्रम ’एक गीत सौ अफ़साने’ में आप सभी श्रोताओं का फिर एक बार स्वागत है। नमस्कार दोस्तों!। ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के इस कार्यक्रम की ख़ास बात यह है कि इसमें दी गई जानकारियाँ और तमाम तथ्य ऐसे साक्षात्कारों से लिए गए होते हैं जो कलाकारों या उनके परिवार जनों द्वारा ही कहे गए होते हैं। स्थापित पत्रिकाओं, आकाशवाणी व दूरदर्शन के स्थापित कार्यक्रमों तथा प्रकाशित पुस्तकों से प्राप्त जानकारियों से सजता है ’एक गीत सौ अफ़साने’।
आज की कड़ी में हम लेकर आए हैं 1966 की फ़िल्म ’आम्रपाली’ के सदाबहार गीत"जाओ रे जोगी तुम जाओ रे" के बनने की रोचक कहानी। एफ़. सी. मेहरा निर्मित और लेख टंडन निदेशित इस फ़िल्म के इस गीत की रिकॉर्डिंग् में राज कपूर पहुँच कर कैसी उलझन पैदा कर दी? इस गीत के लिए जो धुन सोची गई थी, उसका इस्तमाल क्यों नहीं हो सका इस गीत में? फिर आधे दिन के अन्दर गीतकार शैलेन्द्र ने कैसे गीत को पूरा किया? क्या है इस गीत के केवल एक-एक पंक्ति वाले अन्तरों का राज़? ये सब कुछ आज के इस अंक में।
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : ऋतु कौशिक
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक कार्यक्रम ’एक गीत सौ अफ़साने’ में आप सभी श्रोताओं का फिर एक बार स्वागत है। नमस्कार दोस्तों!। ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के इस कार्यक्रम की ख़ास बात यह है कि इसमें दी गई जानकारियाँ और तमाम तथ्य ऐसे साक्षात्कारों से लिए गए होते हैं जो कलाकारों या उनके परिवार जनों द्वारा ही कहे गए होते हैं। स्थापित पत्रिकाओं, आकाशवाणी व दूरदर्शन के स्थापित कार्यक्रमों तथा प्रकाशित पुस्तकों से प्राप्त जानकारियों से सजता है ’एक गीत सौ अफ़साने’।
आज की कड़ी में हम लेकर आए हैं 1966 की फ़िल्म ’आम्रपाली’ के सदाबहार गीत"जाओ रे जोगी तुम जाओ रे" के बनने की रोचक कहानी। एफ़. सी. मेहरा निर्मित और लेख टंडन निदेशित इस फ़िल्म के इस गीत की रिकॉर्डिंग् में राज कपूर पहुँच कर कैसी उलझन पैदा कर दी? इस गीत के लिए जो धुन सोची गई थी, उसका इस्तमाल क्यों नहीं हो सका इस गीत में? फिर आधे दिन के अन्दर गीतकार शैलेन्द्र ने कैसे गीत को पूरा किया? क्या है इस गीत के केवल एक-एक पंक्ति वाले अन्तरों का राज़? ये सब कुछ आज के इस अंक में।