जीवन की पाठशाला ही निराली है, यहां किस्से भी हैं, और सीख भी है इसी में छुपा है, कि कैसे हम निराशा से उभरे और सकारात्मक बने, किस प्रकार खुद से बातें करेंगे तो हम सकारात्मक बने रहेंगे, कैसे व्यक्ति को अपने बारे में कोई भी धारणा कायम नहीं करनी चाहिए, क्यों व्यक्ति को स्वयं की निजी की अवधारणा उच्च रखनी चाहिए जिससे लोगों का आकलन उसके प्रति होने पर उसे कोई चिंता नहीं होगी कोई हताशा नहीं होंगे।