दोस्तों हमारे सारे दुखों का कारण है कि हमें अपनी असलियत पता ही नहीं हम अपने आप को मनुष्य मानते हैं लेकिन वास्तव में हम मनुष्य है नहीं हम तो मनुष्य रूप में जानवर है क्योंकि हमारे जो भी कर्म है शत शत प्रतिशत जानवरों से मिलते हैं एक भी कर्म हम ऐसा नहीं करते कि जो हमें जानवरों से ना मिलता हूं हमारे में और जानवरों में बहुत समानता है और जानवर कुछ माने में हमसे श्रेष्ठ है और कुछ माने में हम जानवरों से श्रेष्ठ है एक चीज केवल हमें मनुष्य बनाती है लेकिन वह काम हम करते ही नहीं मनुष्य जन्म कई जन्मों के बाद मिलता है मनुष्य जन्म के लिए कहा गया है कि मनुष्य जन्म देवताओं को भी दुर्लभ जानते हैं क्यों क्योंकि मनुष्य जन्म से के द्वारा ही परमात्मा की प्राप्ति होती है मनुष्य का जन्म परमात्मा की प्राप्ति के लिए मिलता है मुक्ति जीवनमुक्ति के लिए मिलता है इस जन्म मरण के बंधन से छुटकारा पाने के लिए मिलता है न कि भोगने के लिए जानवरों की है। मनुष्य जन्म भोगने के लिए नहीं है मनुष्य जन्म है त्याग तपस्या का जीवन जीते हुए परमात्मा को प्राप्त करने का लेकिन मनुष्य जन्म के बाद हम में से ज्यादातर लोगों को तो पता ही नहीं रहता है कि मनुष्य जन्म हमें मिला क्यों है। इसी कारण लोग भ्रम में रहते हैं और इसी कारण लाख ईश्वर हमारे पास हो जाए अथाह संपत्ति हो जाए पूरे विश्व का शासन हो जाए फिर भी हमें शांति नहीं मिलती क्यों क्योंकि हमारा जन्म ही हुआ है परमात्मा को प्राप्त करने के लिए और जब तक हम परमात्मा को प्राप्त नहीं करते उसमें मिल नहीं जाते उसमें मिट नहीं जाते तब तक हमें शांति नहीं मिलती इसलिए आप अपने आपको चेक करिए देखिए कि आप कौन सी जिंदगी जी रहे जानवरों वाली कि मनुष्य वाली क्योंकि मनुष्य रूपी जानवर का जन्म तो आपको सहज मिल गया है मनुष्य बनने के लिए आपको परिश्रम करना पड़ेगा उसके लिए तब करना पड़ेगा तपस्या करनी पड़ेगी तब जाकर आपको मनुष्य जन्म मिलेगा और वह मनुष्य जन्म आपके प्रयास से मिलेगा और फिर आप परमात्मा की प्राप्ति की तरफ अग्रसर हो जाएंगे। जब तक आपका कदम परमात्मा की प्राप्ति के तरफ नहीं जाता है जब तक आप काम क्रोध लोभ मोह अहंकार पद प्रतिष्ठा कि जंजाल में गिरे हुए तब तक आप मानव नहीं है तब तक आप जानवर है जब परमात्मा की तरफ आप कदम बढ़ा देंगे तब जानवर से मनुष्य बनने की तरफ अग्रसर हो जाएंगे आज इतना ही बहुत-बहुत धन्यवाद यदि पसंद आए तो शेयर करें सब्सक्राइब करें।