
Sign up to save your podcasts
Or


नवरात्रि के पंचम दिन मां दुर्गा के स्कंद माता स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंद माता का रूप सौंदर्य अद्वितिय आभा लिए शुभ्र वर्ण का होता है। वात्सल्य की मूर्ति हैं स्कंद माता। मान्यता अनुसार संतान प्राप्ति हेतु मां स्कंद माता की पूजा की जाती है। पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंद माता ही हैं। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। मां स्कंद माता की उपासना का मंत्र इस प्रकार है: सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥ आइये जानते हैं माँ स्कंदमाता की कथा के बारे में।
By हिंदू पौराणिक कथा कहानियाँनवरात्रि के पंचम दिन मां दुर्गा के स्कंद माता स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंद माता का रूप सौंदर्य अद्वितिय आभा लिए शुभ्र वर्ण का होता है। वात्सल्य की मूर्ति हैं स्कंद माता। मान्यता अनुसार संतान प्राप्ति हेतु मां स्कंद माता की पूजा की जाती है। पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंद माता ही हैं। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। मां स्कंद माता की उपासना का मंत्र इस प्रकार है: सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥ आइये जानते हैं माँ स्कंदमाता की कथा के बारे में।