किसकी शरण में जाऊं अशरण शरण तुम्हीं हो ॥गज ग्राह से छुड़ाया प्रह्लाद को बचाया।द्रौपदी का पट बढ़ाया निर्बल के बल तुम्हीं हो ॥अति दीन था सुदामा आया तुम्हारे धामा।धनपति उसे बनाया निर्धन के धन तुम्हीं हो ॥तारा सदन कसाई अजामिल की गति बनाई।गणिका सुपुर पठाई पातक हरण तुम्हीं हो ॥मुझको तो हे बिहारी आशा है बस तुम्हारी।काहे सुरति बिसारी मेरे तो एक तुम्हीं हो ॥Listen to Bhajan sung by