लेकिन ना ही मन्दिर मे मुर्ति है ओर ना ही गाँव मे कोई इन्सान चारो तरफ बस एक सन्नाटा ओर जब कोई इस वीराने मे जाता है तो उसे ऐसा महसूस होता है जैसे वो अकेला नही
लेकिन ना ही मन्दिर मे मुर्ति है ओर ना ही गाँव मे कोई इन्सान चारो तरफ बस एक सन्नाटा ओर जब कोई इस वीराने मे जाता है तो उसे ऐसा महसूस होता है जैसे वो अकेला नही