हम अपनी रोज की समस्याओं से निपट नहीं पाते... हमें रोजमर्रा के इशूज़ को डील करने के लिए सहारे की जरूरत होती है। हम अपने आप से जीवन को चला नहीं पाते। और अपने जीवन को कैसे चलाएं, यह सीखने के लिए हम में से कुछ लोग गुरूओं के पास जाते हैं।और कुछ लोग खुद ही अपनी समस्याओं से जूझते रहते हैं।देखिए, आप सिर्फ दो आयाम जानते हैं। पहला ये कि सारा जीवन किसी गुरू की शरण में बिताया जाए... जो गुरू कहे उसे आँख मूंद कर मान लिया जाए। दूसरा, अपने ही उधार ज्ञान के आधार पर जीवन को बिता दिया जाए...। लेकिन एक तीसरा आयाम भी है, जिसे जानने के लिए सुनिए...