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पौराणिक ग्रंथो के अनुसार, भगवान श्रीहरि विष्णु जी के बारह अवतार हैं। इनमें एक अवतार भगवान नरसिंह का है। नरसिंह अर्थात नर + सिंह (मानव-सिंह), जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे, जिनका सिर एवं धड़ तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे, वे भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।
हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी अपने परम भक्त प्रह्लाद के रक्षार्थ और धर्म की स्थापना हेतु नरसिंह रूप में प्रकट होकर अत्याचारी हिरण्यकश्यप का वध किया था।
आइये सुनते हैं भगवान नरसिंह की उत्पत्ति की कथा।
By हिंदू पौराणिक कथा कहानियाँपौराणिक ग्रंथो के अनुसार, भगवान श्रीहरि विष्णु जी के बारह अवतार हैं। इनमें एक अवतार भगवान नरसिंह का है। नरसिंह अर्थात नर + सिंह (मानव-सिंह), जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे, जिनका सिर एवं धड़ तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे, वे भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।
हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी अपने परम भक्त प्रह्लाद के रक्षार्थ और धर्म की स्थापना हेतु नरसिंह रूप में प्रकट होकर अत्याचारी हिरण्यकश्यप का वध किया था।
आइये सुनते हैं भगवान नरसिंह की उत्पत्ति की कथा।