क्यों दूर और ऊंचे से लगते हैं हमें बुद्ध, नानक और कबीर...?
आपको लगता है कि आपके जीवन में पैसा है, अच्छा घर परिवार है तो बुद्ध बनने से और क्या मिल जाएगा? और कभी आप सोचते हैं कि इतना भी दुख नहीं है कि बुद्ध बनना पड़े। क्या आप नहीं जानते की बुद्ध, कबीर या नानक सभी हमारी तरह इंसान ही थे? लेकिन आप उन्हें कुछ खास ही लोग देखते हैं और उन्हें खुद से दूर कर देते हैं ताकि उनकी यह सब बातें आपको समझनी ना पड़े। जबकि हम कहते हैं कि आज इंटरनेट का जमाना है तो बुद्धत्व दूर कहां है? मन का परम आराम दूर कहां है? यह घट सकता है अगर आप अपनी समस्याओं को स्वीकारो, अपने प्रश्नों को पूछो और फिर बताए गए ढंग से उन पर काम करो तो...