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नवरात्रित के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा स्वररूप की पूजा होती है। चन्द्रघंटा देवी का स्वरूप तपे हुए स्वर्ण के समान कांतिमय है, चेहरा शांत एवं सौम्य है और मुख पर सूर्यमंडल की आभा छटक रही होती है। माता के सिर पर अर्ध चंद्रमा मंदिर के घंटे के आकार में सुशोभित हो रहा है जिसके कारण देवी का नाम चन्द्रघंटा हो गया है। मां चंद्रघंटा की उपासना का मंत्र इस प्रकार है:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यंचंद्रघण्टेति विश्रुता॥
आइये जानते हैं नवरात्र के तीसरे दिन क्यों की जाती है इनकी पूजा?
By हिंदू पौराणिक कथा कहानियाँनवरात्रित के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा स्वररूप की पूजा होती है। चन्द्रघंटा देवी का स्वरूप तपे हुए स्वर्ण के समान कांतिमय है, चेहरा शांत एवं सौम्य है और मुख पर सूर्यमंडल की आभा छटक रही होती है। माता के सिर पर अर्ध चंद्रमा मंदिर के घंटे के आकार में सुशोभित हो रहा है जिसके कारण देवी का नाम चन्द्रघंटा हो गया है। मां चंद्रघंटा की उपासना का मंत्र इस प्रकार है:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यंचंद्रघण्टेति विश्रुता॥
आइये जानते हैं नवरात्र के तीसरे दिन क्यों की जाती है इनकी पूजा?