Ukti

Main surya banu


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मैं सूर्य बनु
झाँकता पहाड़ों से
किरणें मेरी महत्त्वाकांक्षाएं, कि उस ओर जो जमी है बर्फ
पिघल
उस पार खड़े है जो देवदार हरे
छू जाए
उनकी गहरी जड़ों को,
कि उनकी आस न हो नीचे जाने की
तलाश में जीवन मात्र के
किन्तु बढ़ने की हो बराबर
आकाश की ओर-
जहाँ मैं मिलूँ उन्हें
बाहें फैलाए। -अमनदीप पँवार, Episode photograph by Preetika Jain
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UktiBy Amandeep Panwar