मैं तुम्हारी शाम की वह तस्वीर बनना चाहता हूँ, जिसको तुम रख लेना चाहो, संजोय अपने इस फ़ोन में; और कभी मैं बनना चाहता हूँ, वह मनपसंद व्यंजन तुम्हारा, जिसके बारें में तुम
बता-बता, चहक-चहक समझ लेती हो बनाने की विधी, पर अभी, मैं हूँ यह चश्मा तुम्हारा जिसको तुम. ऊपर उठाती हो बार-बार, ताकि मैं देख सकूँ, तुम्हारी गहरी आंखों से खूबसूरत यह दुनिया। -अमनदीप पँवार, Episode photograph by Preetika Jain