मुझे, तुम में दिखता है वह जादू, जो तुम्हे सुबहो मैं दिखता है पाहाड़ो की। मुझे दिखती है तुम में वह रोशनी, जो तुम्हे दिखती है पाहाड़ो की चमचमाती रातों में। तुम सुबह, खुद करना महसूस
और पाना की तुम खुद हो जादूगर भी; छड़ी की तरह घूमा अपने बालों को बांधते हुए बिस्तर से नीचे तुम रखना जब पहला कदम तो महसूस करना की एक लहर आ दौड़ेगी धरती के चहक जाने की तुम्हारे जादुई स्पर्श को पाकर, और फिर चश्मा लगाकर, देखना खिड़की में बाहर तुम्हारी अपनी जादूगरी के नज़ारे। -अमनदीप पँवार. वाचक: प्रीतिका जैन, Photograph by Preetika Jain