एक ही पल में सब कुछ गायब हो गया कलेक्टर साहब बुत बनकर वही बेठे थे समझ नहीं आ रहा था जो भी अभी उन्हें दिख रहा था वो सच था या किसी ने उनकी आखों के सामने कोई पर्दा लगा रखा था
एक ही पल में सब कुछ गायब हो गया कलेक्टर साहब बुत बनकर वही बेठे थे समझ नहीं आ रहा था जो भी अभी उन्हें दिख रहा था वो सच था या किसी ने उनकी आखों के सामने कोई पर्दा लगा रखा था