Ek Geet Sau Afsane

“मन क्यों बहका रे बहका आधी रात को..."


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आलेख : सुजॉय चटर्जी

स्वर : अंजू तिवारी 

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक कार्यक्रम ’एक गीत सौ अफ़साने’ में आप सभी श्रोताओं का फिर एक बार स्वागत है। नमस्कार दोस्तों! यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें हम बातें करते हैं किसी एक गीत की, उससे जुड़े तमाम पहलुओं की, गीतों की रचना प्रक्रिया से सम्बन्धित रोचक जानकारियों की, और ज़िक्र होता है दिलचस्प घटनाओं का। जहाँ आज रेडियो, टेलीविज़न और इन्टरनेट पर इस तरह के कार्यक्रमों की भरमार है, वहाँ इन कार्यक्रमों में दी जा रही जानकारियों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के इस कार्यक्रम की ख़ास बात यह है कि इसमें दी गई जानकारियाँ और तमाम तथ्य ऐसे साक्षात्कारों से लिए गए होते हैं जो कलाकारों या उनके परिवार जनों द्वारा ही कहे गए होते हैं। स्थापित पत्रिकाओं, आकाशवाणी व दूरदर्शन के स्थापित कार्यक्रमों तथा प्रकाशित पुस्तकों से प्राप्त जानकारियों से सजता है ’एक गीत सौ अफ़साने’।

आज की कड़ी में हम लेकर आए हैं 1984 की फ़िल्म ’उत्सव’ के सदाबहार गीत "मन क्यों बहका री बहका आधी रात को" के बनने की रोचक कहानी। लता जी और आशा जी साथ में कुल कितने गाने गाये होंगे? और इनमें से लगभग कितने गीत युगल गीत थे? फ़िल्म ’उत्सव’ के इस गीत की रिकॉर्डिंग पर आशा जी को क्यों लगा कि वो गाना भूल गईं? आशा जी ने इस गीत को गाते हुए ऐसा क्या किया जो लता जी मुस्कुरा उठीं? और क्या-क्या ख़ास बातें हैं इस गीत की रिकॉर्डिंग से जुड़ी? ये सब कुछ आज के इस अंक में।

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Ek Geet Sau AfsaneBy Radio Playback India