मनोहर का मस्तिष्क अनियन्त्रित हो गया है। सामान्य जन की भाषा में उसे हम पागल कह सकते हैं। मनोहर जीवन के उस तिराहे पर हैं जहाँ उनका अतीत अच्छा नहीं था लेकिन वर्तमान और भविष्य तो अन्धकार के सागर में गोते लगा रहा है। मानव जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का उनके लिए क्या महत्व है? इस पर विचार करते हुए सुनते हैं हमारी कविता " मनोहर "।