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समूचे भूधरा को, घरघटा नें घेर रखा है,
महज़ सपना तेरा सपना, तुझे सपना मुबारक़।
तेरी आंखें जो चाहे, जलते नभ का अंश भी देखे,
महज़ चंदा दिखा शीतल, तुझे चंदा मुबारक़।।
***
समूचे भूधरा को, घरघटा नें घेर रखा है,
महज़ सपना तेरा सपना, तुझे सपना मुबारक़।
तेरी आंखें जो चाहे, जलते नभ का अंश भी देखे,
महज़ चंदा दिखा शीतल, तुझे चंदा मुबारक़।।
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