ये लिखते लिखते कुछ बातें थी जेहन में और उनमें से सबसे ज्यादा जो बात मेरे दिमाग में घर कर गई, वो थी इंतज़ार। इसी के आसपास कुछ लिखा है, उन सब के लिए जो प्रेम कहानियों से परे है। वो रिश्ते जो आज भी इस आस में है कि तुम लौट आओगे किसी दिन, आँगन, कमरे, दरवाज़े सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे है। तुम आवज़ हो लौट आओ -वेद