तटस्थ मन से की गई सेवा में कोई बुराई नहीं है... लेकिन ये सोचकर दान पुण्य करना या किसी की सेवा करना कि इससे मन की शांति मिलेगी या अगले जन्म में इसका फल मिलेगा... इस बात की कोई उपयोगिता नहीं है। मन की शांति के लिए तो कुछ अलग, कुछ नया, कुछ ऐसा करना होगा जो पहले नही किया। और जानने के लिए सुनिए.....