Ishrosh

Novel: "सीता सोचती थी...!" Chapter 5 – "पीड़ाएँ फिर भी हैं...!"


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Hindi Novel - सीता सोचती थी

Author - डॉ. अशोक शर्मा

Narrator - नन्द कुमार

Description: ‘‘बेटी, तुम कपना नह कर सकत िक राम के साथ तुहारे और लमण के वन जाने के बाद, मने जीवन को िकस कार िजया है। क तो सभी ने उठाये, िकतु तुमने िनदष होते हये भी जो कु छ सहा है, वह अकपनीय है और आज लव व कु श के प म हमारी भावी पीढ़ी भी उस ासदी को झेल रही है... बेटी आमलािन मुझे जीने नह दे रही है।''

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IshroshBy Nannd Kumar