वराहमिहिर, पाँचवीं-छठी शताब्दी के महान भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री, जिन्होंने विज्ञान और ज्योतिष के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ पंचसिद्धान्तिका में अयनांश के मान को 50.32 सेकेंड के बराबर बताया और खगोलशास्त्र के सिद्धांतों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उज्जैन के कापित्थक में स्थापित उनका गुरुकुल सात सौ वर्षों तक गणित और विज्ञान का केंद्र बना।इस वीडियो में जानें वराहमिहिर के जीवन के बारे में, उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण शोध, और उनके द्वारा रचित ग्रंथों के बारे में। पंचसिद्धान्तिका, बृहत्संहिता, बृहज्जातक और वृहत संहिता जैसे ग्रंथों के माध्यम से उन्होंने खगोलशास्त्र, गणित, भविष्यशास्त्र और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में क्या योगदान दिया, यह जानने के लिए इस वीडियो को पूरा देखें।वराहमिहिर ने अपने जीवन में अनेक महत्वपूर्ण भविष्यवाणियाँ कीं, जिनमें से एक राजा विक्रमादित्य के पुत्र की मृत्यु का भविष्यवाणी भी थी, जो बिल्कुल सही साबित हुई। उनकी मुलाकात आर्यभट से हुई, जिन्होंने उन्हें खगोलशास्त्र में और गहरी रुचि और ज्ञान दिया।वराहमिहिर का कार्य न केवल भारत, बल्कि वैश्विक विज्ञान और गणित के इतिहास में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। इस वीडियो में हम उनके जीवन, कार्य और विचारों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।#Varahamihira #IndianAstronomer #Mathematician #HistoryOfScience #VedicScience #Astronomy #AncientIndia #PanchSiddhantika #BhavishyaShastra #AstronomyInIndia👉 *कृपया वीडियो को लाइक, कमेंट और सब्सक्राइब करें, ताकि आप और भी ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं का आनंद ले सकें।*
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