एनआईएसडी बुजुर्गो, ट्रांसजेंडर व युवाओं को स्वावलंबी प्रतिबद्ध.
इस संकट के दौर में नकारात्मकता को समाज से दूर करने के लिए दिल्ली और दिल्ली समाचार पत्र द्वारा देश के लोकप्रिय विचारकों के साथ संवाद का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस के निदेशक डॉ वीरेंद्र मिश्रा से दिल्ली और दिल्ली समाचार पत्र के उप संपादक महेंद्र कुमार ने खास चर्चा की है।
एक नजर डॉ वीरेंद्र मिश्रा के परिचय पर*
डॉ वीरेंद्र मिश्रा सामाजिक सरोकारों से जुड़े देश के लोकप्रिय लोगों में शामिल है। इन्होंने एआईजी के रूप में पुलिस में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। दुनिया के सबसे बड़े युवाओं के संगठन नेहरू युवा केंद्र संगठन में श्री मिश्रा अतिरिक्त निदेशक व एनएसएस में निदेशक की भूमिका निभा चुके है। इसके अलावा सामाजिक सरोकार से जुड़े अनेक विषयों पर अनेक मंचों पर विचारों की प्रस्तुति करते रहते हैं। श्री मिश्रा देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।
*हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं साक्षात्कार के प्रमुख अंश*
*NISD सामाजिक विकास में विगत कई सालों से महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। इस संस्थान का प्रमुख होना आपके लिए कितना मायने रखता है ?*
एनआईएसडी सामाजिक विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह संस्थान मुख्य रूप से चार वर्गों बुजुर्गों, ट्रांसजेंडर, भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों, व युवाओं के लिए काम करता है। ये सारे विषय समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस कोरोना संकट के कारण इन वर्गों से तालुकात रखने वाले लोगों की स्थिति और भी बदतर हो गई है। इसलिए एनआईएसडी ने इस वर्ग से तालुकात रखने वाले इन लोगों को प्राथमिकता में लिया है। इन तमाम वर्गों के लोगों को हम सामाजिक रूप से मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।हमारी कोशिश समाज में जागरूकता लाने की है चाहे वह पूरक या परोक्ष रूप से हो। हमारा लक्ष्य इन तमाम लोगों को जरूरी मदद उपलब्ध करवाना है।
*NISD के 60 साल के स्वर्णिम इतिहास के विषय में आपका क्या कहना है ?*
एनआईएसडी एक ऐसा संस्थान है जो लगातार विकास कि और अग्रसर हो रहा है। इसके कार्य करने की क्षमता में लगातार विस्तार हो रहा है। जो भी अधिकारी इस संस्थान से जुड़े रहे उन्होंने संस्थान के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस संस्थान के साथ अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थान भी जुड़े हुए हैं। ट्रांसजेंडर तबके का कानून आने के बाद हमने इस तबके के विकास के लिए और तेजी से कार्य करना शुरू कर दिया है। इस संस्थान ने अपनी इस यात्रा का सफर अनेक संस्थानों के साथ मिलकर तय किया है।
*जब से आप NISD में निदेशक बने है। आपने ट्रांसजेंडर तबके को मुख्यधारा में लाने के लिए कार्य किया है उसके विषय में बताएं ?*
यह विडंबना की बात है कि ट्रांसजेंडर तबके के लिए जब नया कानून आया तो उसके तुरंत बाद ही कोरोना के कारण देशव्यापी लॉक डाउन लग गया। इस वजह से इस समुदाय के लोगों के लिए हम ग्राउंड पर जाकर काम नहीं कर पाए। पर हमारे संस्थान द्वारा ऑनलाइन माध्यम से इस समुदाय के विकास के लिए लगातार काम किया जा रहा है। इसके अलावा अनेक लोगों पुलिस, युवाओं, जेल के अधिकारियों, गैर सरकारी संगठन, व पंचायतों के माध्यम से इस समुदाय के चौमुखी विकास के लिए हम प्रयासरत हैं। ऑनलाइन माध्यम से इस तबके से जुड़े लोगों के साथ हम चर्चा कर रहे हैं। हम लोग उन्हें इस कानून के विषय में उनके मन में चल रहे तमाम प्रश्नों की जिज्ञासा भी शांत कर रहे हैं। इसके अलावा उन लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि वे इस नए कानून के माध्यम से अपनी स्थिति को बेहतर कैसे बना सकते हैं।
*आप पुलिस में भी AIG के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर चुके हैं। अपने पुलिसिया अनुभव के विषय में बताएं ?*
पुलिस में कार्य करने का अनुभव बहुत ही खूबसूरत होता है। यह एक ऐसी नौकरी होती है जो आपको समाज के बहुत नजदीक ले जाती है। ऐसी खुशकिस्मती अन्य विभागों में नौकरी कर रहे लोगों की नहीं होती है। पुलिस को समुदाय में चल रही अच्छी व बुरी गतिविधियों की भली-भांति जानकारी होती है। जितने बेहतर तरीके से एक समुदाय को पुलिस जान सकती है उतना कोई और नहीं कर सकता है। मेरे इस पुलिसिया अनुभव ने एनआईएसडी में मेरे कार्य करने की क्षमता को बढ़ाया है।
*NISD नशा मुक्ति को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। उसके विषय में जानकारी दे ?*
मैंने एनएसएस में निदेशक व नेहरू युवा केंद्र संगठन में अतिरिक्त निदेशक की जिम्मेवारी संभाली है। इन दोनों संगठनों से लगभग 85 लाख से अधिक युवा जुड़े हुए हैं।