किस्सागो

प्रेम की बिरादरी | व्यंग्य


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तरुण - क्या आप ब्राह्मण हें, और ब्राह्मण है तो किस प्रकार के ब्राह्मण है।
तरुणी -क्यों, क्या बात है?
तरुण - कुछ नहीं ! ज़रा आपसे प्रेम करने का इरादा है
तरुणी - मैं तो खत्री हूँ
तरुणी- तो फिर मेरा आपसे प्रेम नहीं हो सकता, क्योंकि मैं ब्राह्मण हूँ|
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किस्सागोBy Puja Kumar