इस प्रसंग में लेखक रविन्द्र केलेकर ने शुद्ध सोना, गिन्नी का सोना के माध्यम से समाज में रहने वाले आदर्शवादी तथा व्यवहारिक आदर्शवादी व्यक्ति के प्रभाव को स्पष्ट किया है।
इस प्रसंग में लेखक रविन्द्र केलेकर ने शुद्ध सोना, गिन्नी का सोना के माध्यम से समाज में रहने वाले आदर्शवादी तथा व्यवहारिक आदर्शवादी व्यक्ति के प्रभाव को स्पष्ट किया है।