रानी सरंगा के भाग 4 में बताया गया है कि चंपत राय किस तरीके से रानी सारंधा से पूछते हैं तुम इतनी उदास क्यों रहती हो ,ओरछा में ऐसा क्या था जो यहां पर नहीं है,रानी सारंधा चंपत राय से बोलती है कि मैं ओरछा की रानी थी और यहां कि मैं एक चेरी अर्थात काम करने वाले की पत्नी हूं मैं ओरछा में वैसी ही थी जिस तरीके से कौशल्या अयोध्या में,तो भला मैं यहां खुश कैसे रह सकती हूं उसकी यह भावपूर्ण बातें सुनकर चंपत राय भावुक हो जाते हैं और उन्हें अपने मातृभूमि की याद आती है और वह दिल्ली से ओरछा की ओर निकल पड़ते हैं।