Smriti Anil

रानी सारंधा-भाग९रानी सारंधा के जीवन का अंतिम क्षण


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रानी सारंगा का अपने पुत्र छत्रसाल को बादशाह के पास समझौते के लिए भेजना कि वह उसकी प्रजा को नुकसान न पहुंचाए और वह ओरछा छोड़कर चले जाएंगे चंपत राय रानी सारंधा छोड़कर कुछ दसकोशी दूर जाते हैं कि तभी बादशाही सेनाओं का पीछा करते-करते वहां पहुंच जाती है यह देखकर रानी सारंधा बहुत निराश होती हैं परंतु कहते हैं हर निराशा में एक आशा होती है उसे लगता है कहीं ऐसा तो नहीं कि उसके राजकुमारों ने उसके मदद के लिए ओरछा की सेना भेजि हो कुछ दूर चलने के बाद शाही सेना पास आती है तो रानी सारंधा को एहसास हो जाता है कि यह सेना बादशाही है जैसे ही चंपत राय को यह पता चलता है कि बादशाही सेना उनके पास आ पहुंची है तो चंपत राय कहते हैं मुझे मृत्यु दान दे दो सारन यह बात सुन सारन बहुत दुखी होती है परंतु परिस्थिति वर्ष रानी सारंधा को अपने प्राण पति चंपत राय और अपने जीवन का बलिदान देना पड़ता है
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Smriti AnilBy Sanskriti Sanskar srivastava