DHADKANE MERI SUN

रातां.... बिन यारा तेरे नहीं कटती


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उसने अपने खत में लिखा....

ये कैसा प्यार है तेरा...

बिस्तर में सलवटें ही नहीं पड़ती, सलवटें पड़े भी तो कैसे...क्योंकि...तू वहाँ ...मैं यहाँ....ये कैसा खुदा है मेरा ....धरती प्यास से तड़प रही है मेघ हैं कि बरसने का नाम ही नहीं लेते मेघ बरसे भी तो कैसे....क्यों कि ...तू वहाँ...मैं यहाँ ....वो अक्सर अपने खत में लिखा करती थी.......... रातां बिन यारा तेरे नहीं कटती

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DHADKANE MERI SUNBy Dr. Rajnish Kaushik