अध्याय १२ - मोक्षदायक पुण्यक्षेत्रों का वर्णन , कालविशेष में विभिन्न नदियों के जल में स्नानके उत्त्तम फलका निर्देश तथा तीर्थमें पापसे बचे रेहनेकी चेतावनी
अध्याय १३ - सदाचार, शौचाचार, स्नान, भस्मधारण, संध्यावंदन, प्रणव-जप, गायत्री-जप, दान, न्यायतः धनोपार्जन तथा अग्निहोत्र आदिकी विधि एवं महिमाका वर्णन
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