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प्रदोष व्रत अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला है। यह व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है, इसलिए इसे वार के अनुसार पूजन करने का विधान शास्त्र सम्मत माना गया है यदि इन तिथियों को सोमवार हो तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं, यदि मंगलवार हो तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं और शनिवार हो तो उसे शनि प्रदोष व्रत व्रत कहते हैं। शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ शनि की भी पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव और शनि देव भक्त की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। प्रदोष व्रत में व्रत कथा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन व्रत कथा पढ़ने या सुनने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
आइये हम आपको बताते हैं शनि प्रदोष व्रत कथा के बारे में।
प्रदोष व्रत अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला है। यह व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है, इसलिए इसे वार के अनुसार पूजन करने का विधान शास्त्र सम्मत माना गया है यदि इन तिथियों को सोमवार हो तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं, यदि मंगलवार हो तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं और शनिवार हो तो उसे शनि प्रदोष व्रत व्रत कहते हैं। शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ शनि की भी पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव और शनि देव भक्त की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। प्रदोष व्रत में व्रत कथा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन व्रत कथा पढ़ने या सुनने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
आइये हम आपको बताते हैं शनि प्रदोष व्रत कथा के बारे में।