"राजसी आहार वे होते हैं जो अत्यधिक तिक्त (कड़वे), अम्ल (खट्टे), लवण (नमकीन), उष्ण (गर्म), तीव्र (तीखा), रूक्ष (कठोर) और ज्वर उत्पन्न करने वाले होते हैं। ऐसे आहार दुख, शोक और इच्छाओं को उत्पन्न करने वाले होते हैं।"
भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह बता रहे हैं कि राजसी आहार व्यक्ति की मानसिक स्थिति और स्वभाव पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। यह आहार शरीर और मन को उत्तेजित कर सकते हैं और व्यक्ति को दुःख, मानसिक अशांति और अनावश्यक इच्छाओं की ओर प्रवृत्त कर सकते हैं।