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यह श्लोक श्री भगवद गीता के 3.73 का अंश है। इसमें अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से कहते हैं:
"हे अच्युत! मेरा मोह समाप्त हो चुका है, और स्मृति प्राप्त हुई है। आपके प्रसाद से मेरा संदेह दूर हो गया है। अब मैं स्थिर हूं और जो आप कहेंगे, वही करूंगा।"
अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को पूरी तरह से समझ लिया है और उनका अज्ञान और भ्रम समाप्त हो चुका है। अब वह अपने संदेहों को छोड़कर श्री कृष्ण के निर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं।
Here are some hashtags you can use:
#BhagavadGita #Arjuna #Krishna #DivineWisdom #SpiritualAwakening #SelfRealization #Moksha #GitaShloka #SanatanDharma #AncientPhilosophy #InnerPeace #Faith #SpiritualGrowth #SelfAwareness #Clarity #Guidance
By Yatrigan kripya dhyan de!यह श्लोक श्री भगवद गीता के 3.73 का अंश है। इसमें अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से कहते हैं:
"हे अच्युत! मेरा मोह समाप्त हो चुका है, और स्मृति प्राप्त हुई है। आपके प्रसाद से मेरा संदेह दूर हो गया है। अब मैं स्थिर हूं और जो आप कहेंगे, वही करूंगा।"
अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को पूरी तरह से समझ लिया है और उनका अज्ञान और भ्रम समाप्त हो चुका है। अब वह अपने संदेहों को छोड़कर श्री कृष्ण के निर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं।
Here are some hashtags you can use:
#BhagavadGita #Arjuna #Krishna #DivineWisdom #SpiritualAwakening #SelfRealization #Moksha #GitaShloka #SanatanDharma #AncientPhilosophy #InnerPeace #Faith #SpiritualGrowth #SelfAwareness #Clarity #Guidance