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यह श्लोक श्री भगवद गीता के 3.76 का अंश है। इसमें संजय धृतराष्ट्र से कहते हैं:
"राजन! इस अद्भुत संवाद को बार-बार स्मरण करते हुए, मैं केशव और अर्जुन के बीच के इस पुण्यपूर्ण संवाद को सुनकर आनंदित हो रहा हूँ और बार-बार हर्षित हो रहा हूँ।"
संजय यह व्यक्त कर रहे हैं कि भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच का संवाद अत्यंत दिव्य और पुण्यकारी है, जिसे स्मरण करने से उन्हें खुशी और संतोष मिल रहा है। यह संवाद उनके लिए अत्यंत प्रेरणादायक है और वे इसे बार-बार याद करते हैं।
Here are some hashtags you can use for this shloka:
#BhagavadGita #Sanjay #Krishna #Arjuna #DivineDialogue #SacredWisdom #AncientPhilosophy #GitaShloka #SpiritualAwakening #InnerPeace #Yoga #Happiness #DivineTeachings #Punyakarma #SacredText #SpiritualJourney
By Yatrigan kripya dhyan de!यह श्लोक श्री भगवद गीता के 3.76 का अंश है। इसमें संजय धृतराष्ट्र से कहते हैं:
"राजन! इस अद्भुत संवाद को बार-बार स्मरण करते हुए, मैं केशव और अर्जुन के बीच के इस पुण्यपूर्ण संवाद को सुनकर आनंदित हो रहा हूँ और बार-बार हर्षित हो रहा हूँ।"
संजय यह व्यक्त कर रहे हैं कि भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच का संवाद अत्यंत दिव्य और पुण्यकारी है, जिसे स्मरण करने से उन्हें खुशी और संतोष मिल रहा है। यह संवाद उनके लिए अत्यंत प्रेरणादायक है और वे इसे बार-बार याद करते हैं।
Here are some hashtags you can use for this shloka:
#BhagavadGita #Sanjay #Krishna #Arjuna #DivineDialogue #SacredWisdom #AncientPhilosophy #GitaShloka #SpiritualAwakening #InnerPeace #Yoga #Happiness #DivineTeachings #Punyakarma #SacredText #SpiritualJourney