जीवन का मतलब है एक सीमित समय। हम सभी जानते ही हैं कि मृत्यु निश्चित है। कोई एक क्षण भी और जीने के लिए मांगें, वो उसे नहीं मिलता। चाहे किसी व्यक्ति की उम्र कितनी भी लम्बीं क्यों ना हो, है तो वो सीमित समय ही..। अगर हमने इस बात को स्मरण रखा कि हमारे जीवन का समय सीमित है... तो हम व्यर्थ ही ना तो कुछ सुनेंगें, ना ही कुछ कहेंगें। हमारे पास limited time और limited resources हैं। अगर हम यूं ही कुछ भी सुनने लगे और कुछ भी कहते रहे, फिर वास्तव में जो कहने सुनने के लायक है, उसे कब सुनेंगें और कहेंगें? वास्तव में क्या सुनने लायक है, जीवन की बेहतरी के लिए क्या उपयोगी है? जानने के लिए सुनिए...